Sunday, June 29, 2008

पुलिस से दोस्ती कीजिए


पुलिस । भय का प्रतीक बन चुकी है पुलिस । कहा जाता है कि पुलिस वालों की न दोस्ती अच्छी और न ही दुश्मनी। यह सिक्के का एक पहलू है। सिक्के का दूसरा पहलू शायद कभी आपने नहीं देखा है। खाकी वर्दी से पीछे भी एक श्रेष्ठ पिता, एक रक्षक भाई और एक आज्ञाकारी बेटा होता है।
एक पुलिस अधिकारी होने के नाते सिक्के के दोनों पहलुओं से भलीभांति वाकिफ हूँ। आप कितना जानते हैं पुलिस को ? क्या कभी आप थाने गए है और वहां आपको आदरपूर्वक बैठाया गया है? क्या आपकी रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई है ? पुलिस वाले को कोई सूचना दी तो उसे गंभीरता से किया गया है ? क्या आप चाहते हैं कि किसी पुलिस वाले को शाबासी दी जाए?
मैं आज से, अभी से आपसे दोस्ती करना चाहता हूँ । अपने लिए, आपके लिए, समाज के लिए और हम सबके लिए। पुलिस को आपका सबसे प्यारा दोस्त बनाना चाहता हूँ। ऐसा दोस्त जो सुख-दुःख में आपके साथ खड़ा है।
तो देर किस बात की? आप अपने खट्टे- मीठे अनुभव मेरे साथ बाँटिये। पुलिस के बारे में जो भी विचार आता है, जो भी आपने अनुभव किया है, जो आपने भोगा है, जो आपने देखा है, मुझे लिखिए।
हाँ, आगरा शहर के समेकित विकास, यातायात सुधार , सफाई, जलभराव आदि के सम्बन्ध में सुझाव भी दीजिये। यकीन मानिये, आपके हर सुझाव का तहेदिल से स्वागत होगा।
मैं यह दावा नहीं करता कि सब कुछ बदल दूंगा, लेकिन कुछ न कुछ बदलाव जरूर होगा।
ब्लॉग शुरू करने से पीछे उद्देश्य भी यही है।
दुष्यंत के शब्दों में ....
वे मुतमईन हैं कि पत्थर पिघल नहीं सकता,
मैं बेकरार हूँ आवाज में असर के लिए ।

जय हिंद।
असीम अरुण
डी.आई.जी. आगरा

Thursday, June 26, 2008

ये भी तो कीजिए

प्रयास आपका अच्छा है, ये भी तो कीजिए,
पुलिस वालों की भर्ती में रिश्वत बंद कीजिए।

रिश्वत ने यूं तो समाज का कबाडा कर दिया,
अपने खास कारिंदों को तो इससे बचा लीजिए ।

मैं नहीं कहता हूँ सब 'असीम अरुण' बन जाएं,
गुजारिश है 'आटे में नमक' बराबर लीजिए ।

तहरीर रिसीव करने के भी दाम लेते हैं,

ऐसे मुंशियों को तो तडीपार कीजिए ।


मैं नहीं कहता हूँ कि गालियां कम करो,

जब मां - बहन थाने में हो, तब तो न दीजिए ।

ये ट्रेफिक पुलिस वाला

देखो कितना चिकना है ये ट्रेफिक पुलिस वाला,
बिना दाढ़ी - मूंछ का है ये ट्रेफिक पुलिस वाला ।

काला-काला चश्मा पहने ये ट्रेफिक पुलिस वाला,
तो टनाटन 'गोविंदा' सा लगे ये ट्रेफिक पुलिस वाला।

लगता नहीं है पुलिस में है ये ट्रेफिक पुलिस वाला,
कमीज उतार कर 'सलमान' लगे, ये ट्रेफिक पुलिस वाला।

चुटकुला

मां (बेटी से )- बेटी कहाँ जा रही हो ?
बेटी - अपनी सहेली से मिलने क्वार्सी जा रही हूँ ?
मां - बेटी, सारे जेवर उतार दे। हो सके तो कपड़े भी छोटे वाले पहन ले ।
बेटी - क्यों मां ?
मां - बेटी तुझे पता नहीं है, क्वार्सी में चोरों का अड्डा है।
बेटी - मां, तुम चिंता क्यों करती हो, क्वार्सी में पुलिस थाना है न ।
मां - तभी तो चिंता है बेटी। थाना न होता तो कोई बात नहीं थी।

जब पुलिस चोरी कराए तो कौन बचाए

जब शैतान सताए तो भगवान बचाए,
जब पुलिस सताए तो कौन बचाए ?

जब बाप पिटाई लगाए तो मां बचाए,
जब पुलिस पिटाई लगाए तो कौन बचाए ?

जब बीमार पड़ जाएं तो डॉक्टर बचाए,
जब पुलिस बीमार कराए तो कौन बचाए ?

चोर - उचक्कों को पुलिस पकड़ ले जाए,
जब पुलिस चोरी कराए तो कौन बचाए ?



पत्थरों से सर मार रहे है

एसएसपी साहब क्या आप पुलिस को सुधार रहे हैं,

फ़िर तो तय है आप पत्थरों से सर मार रहे हैं।

आप जानते हैं कि अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ता ,

कैसे जुडेगी वह तस्वीर जिसे हर कोई है तोड़ता ।

गंगा स्नान कराने से बैल बछडा नहीं हो जाएगा ,

बीमार को घी पिलाओ तो तगड़ा नहीं हो जाएगा ।

हमारे देश में पुलिस से ज्यादा बिगडा हुआ कौन है,

मक्खी संग दूध पीने वाली पुलिस है, और कौन है ।

कमाल है कि आप फ़िर भी प्रयास कर रहे हैं ,

मुझे लगता है अपना समय बर्बाद कर रहे हैं ।

दावा है कि अभी नहीं तो बाद में पछताओगे,

दरोगा जब हवालात में डाल देगा तब चिल्लाओगे ।