पुलिस । भय का प्रतीक बन चुकी है पुलिस । कहा जाता है कि पुलिस वालों की न दोस्ती अच्छी और न ही दुश्मनी। यह सिक्के का एक पहलू है। सिक्के का दूसरा पहलू शायद कभी आपने नहीं देखा है। खाकी वर्दी से पीछे भी एक श्रेष्ठ पिता, एक रक्षक भाई और एक आज्ञाकारी बेटा होता है।
एक पुलिस अधिकारी होने के नाते सिक्के के दोनों पहलुओं से भलीभांति वाकिफ हूँ। आप कितना जानते हैं पुलिस को ? क्या कभी आप थाने गए है और वहां आपको आदरपूर्वक बैठाया गया है? क्या आपकी रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई है ? पुलिस वाले को कोई सूचना दी तो उसे गंभीरता से किया गया है ? क्या आप चाहते हैं कि किसी पुलिस वाले को शाबासी दी जाए?
मैं आज से, अभी से आपसे दोस्ती करना चाहता हूँ । अपने लिए, आपके लिए, समाज के लिए और हम सबके लिए। पुलिस को आपका सबसे प्यारा दोस्त बनाना चाहता हूँ। ऐसा दोस्त जो सुख-दुःख में आपके साथ खड़ा है।
तो देर किस बात की? आप अपने खट्टे- मीठे अनुभव मेरे साथ बाँटिये। पुलिस के बारे में जो भी विचार आता है, जो भी आपने अनुभव किया है, जो आपने भोगा है, जो आपने देखा है, मुझे लिखिए।
एक पुलिस अधिकारी होने के नाते सिक्के के दोनों पहलुओं से भलीभांति वाकिफ हूँ। आप कितना जानते हैं पुलिस को ? क्या कभी आप थाने गए है और वहां आपको आदरपूर्वक बैठाया गया है? क्या आपकी रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई है ? पुलिस वाले को कोई सूचना दी तो उसे गंभीरता से किया गया है ? क्या आप चाहते हैं कि किसी पुलिस वाले को शाबासी दी जाए?
मैं आज से, अभी से आपसे दोस्ती करना चाहता हूँ । अपने लिए, आपके लिए, समाज के लिए और हम सबके लिए। पुलिस को आपका सबसे प्यारा दोस्त बनाना चाहता हूँ। ऐसा दोस्त जो सुख-दुःख में आपके साथ खड़ा है।
तो देर किस बात की? आप अपने खट्टे- मीठे अनुभव मेरे साथ बाँटिये। पुलिस के बारे में जो भी विचार आता है, जो भी आपने अनुभव किया है, जो आपने भोगा है, जो आपने देखा है, मुझे लिखिए।
हाँ, आगरा शहर के समेकित विकास, यातायात सुधार , सफाई, जलभराव आदि के सम्बन्ध में सुझाव भी दीजिये। यकीन मानिये, आपके हर सुझाव का तहेदिल से स्वागत होगा।
मैं यह दावा नहीं करता कि सब कुछ बदल दूंगा, लेकिन कुछ न कुछ बदलाव जरूर होगा।
ब्लॉग शुरू करने से पीछे उद्देश्य भी यही है।
दुष्यंत के शब्दों में ....
वे मुतमईन हैं कि पत्थर पिघल नहीं सकता,
मैं बेकरार हूँ आवाज में असर के लिए ।
जय हिंद।
असीम अरुण
वे मुतमईन हैं कि पत्थर पिघल नहीं सकता,
मैं बेकरार हूँ आवाज में असर के लिए ।
जय हिंद।
असीम अरुण
डी.आई.जी. आगरा